
बच्चों की सेफ्टी का ध्यान रखने की जरूरत जितनी आज है, शायद इतनी कभी नहीं रही। आय दिन बच्चों के प्रति हो रहे अपराधों की दर तेजी से बढ़ रही है। सबसे डरावनी बात है कि बच्चे अक्सर अपने आस-पास के, जान-पहचान वाले लोगों से ही सेफ नहीं हैं। ऐसे स्थिति में पैरेंट्स के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना। ये पैरेंट्स के लिए थोड़ा चैलेंजिंग हो सकता है लेकिन आप हर समय अपने बच्चे के साथ नहीं रह सकते हैं। इसलिए एक उम्र के बाद उसे इन चीजों के बारे में अवेयर करना बहुत जरूरी है। बच्चों के डॉक्टर रवि मालिक जी ने एक पोस्ट के जरिए पैरेंट्स को बताया है कि किस उम्र से और किस तरह बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं। आइए जानते हैं।
डॉक्टर रवि मालिक के अनुसार आज के माहौल को देखते हुए बच्चों को जितनी जल्दी गुड टच और बैड टच के बारे में बता दिया जाए, उतना ही अच्छा है। आमतौर पर पैरेंट्स को तीन से चार साल की उम्र के बाद से ही बच्चों से इस बारे में बात करना शुरू कर देना चाहिए। एकदम से शायद आप उन्हें हर चीज ना समझा पाएं, लेकिन धीरे-धीरे प्यार के साथ और खुले दिमाग से बातचीत करना शुरू करें।
डॉक्टर रवि कहते हैं कि बच्चों से हमेशा प्यार से बातचीत करनी चाहिए। इस दौरान बिल्कुल भी डांट-फटकार या डर का भाव बच्चों में नहीं आना चाहिए। बातचीत की शुरुआत बच्चों को प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बताने से करें। अक्सर पैरेंट्स कन्फ्यूज रहते हैं कि बच्चों के सामने प्राइवेट पार्ट्स को क्या कहें, डॉक्टर का कहना है कि आप किसी दूसरे घटिया शब्द के इस्तेमाल से बचें और इन्हें प्राइवेट पार्ट कहकर ही बातचीत शुरू करें।
डॉक्टर रवि कहते हैं कि बच्चों को बताएं कि शरीर के जो भी अंग स्विम सूट में ढके रह जाते हैं, वो सभी प्राइवेट पार्ट हैं। इसके अलावा होंठ और गाल भी प्राइवेट पार्ट का हिस्सा हैं। बच्चे को बताएं कि किसी भी इंसान को आपके इन प्राइवेट हिस्सों को टच करने का हक नहीं है। अगर कोई जान-पहचान वाला या अंजान आदमी उनके इन बॉडी पार्ट्स को अजीब ढंग से टच करता है या बच्चे को कुछ भी गंदा महसूस होता है, तो वो तुरंत आपसे यानी पैरेंट्स से खुलकर कहें।
अब बारी आती है बच्चे को गुड टच और बैड टच का अंतर समझने की। डॉक्टर कहते हैं कि बच्चे को बताएं कि गुड टच वो है, जब आप कंफर्टेबल महसूस करते हैं। जैसे- दोस्त के साथ हाथ मिलाना, पैरेंट्स को हग करना। यानी जिसमें आपको अच्छा महसूस हो रहा हो और सामने वाले से आपका रिश्ता भी अच्छा हो। वहीं बैड टच वो है, जब कोई अंजान आदमी या फिर कोई और भी आपके प्राइवेट पार्ट्स को टच कर रहा हो। ऐसे टच में आपको डर लग रहा हो या बहुत गंदा महसूस हो रहा हो।
बच्चा अच्छी तरह समझ पाए, इसके लिए पैरेंट्स बच्चे के साथ एक एक्सपेरिमेंट भी कर सकते हैं। इसमें बच्चे अलग-अलग बॉडी पार्ट्स पर टच करें और उनसे पूछे की ये गुड टच था या बैड टच। कम उम्र के बच्चों को अच्छी तरह सिखाने का ये सबसे अच्छा तरीका है।